Sari Basti Kadmon Me Hai, Ye Bhi Ik Fankari Hai – Rahat Indori | Ghazal And Shayari

Sari Basti Kadmon Me Hai, Ye Bhi Ik Fankari Hai सारी बस्ती क़दमों में है, ये भी इक फ़नकारी है वरना बदन को छोड़ के अपना जो कुछ है सरकारी है कालेज के सब लड़के चुप हैं काग़ज़ की इक नाव लिये चारों तरफ़ दरिया की सूरत फैली हुई बेकारी है फूलों की ख़ुश्बू लूटी … Read more

Shaharon-Shaharon Gaanv Ka Aangan Yaad Aaya – Rahat Indori | Ghazal And Shayari

Shaharon-Shaharon Gaanv Ka Aangan Yaad Aaya शहरों-शहरों गाँव का आँगन याद आया झूठे दोस्त और सच्चा दुश्मन याद आया पीली पीली फसलें देख के खेतों में अपने घर का खाली बरतन याद आया गिरजा में इक मोम की मरियम रखी थी माँ की गोद में गुजरा बचपन याद आया देख के रंगमहल की रंगीं दीवारें … Read more

Apne Hone Ka Hum Is Tarah Pata Dete The – Rahat Indori | Ghazal And Shayari

    Apne Hone Ka Hum Is Tarah Pata Dete The अपने होने का हम इस तरह पता देते थे खाक मुट्ठी में उठाते थे, उड़ा देते थे बेसमर जान के हम काट चुके हैं जिनको याद आते हैं के बेचारे हवा देते थे उसकी महफ़िल में वही सच था वो जो कुछ भी कहे हम … Read more

Kisi Aahoo Ke Liye Dur Talak Mat Jaana – Rahat Indori | Ghazal And Shayari

  Kisi Aahoo Ke Liye Dur Talak Mat Jaana किसी आहू, के लिये दूर तलक मत जाना शाहज़ादे कहीं जंगल में भटक मत जाना इम्तहां लेंगे यहाँ सब्र का दुनिया वाले मेरी आँखों कहीं ऐसे में चलक मत जाना जिंदा रहना है तो सड़कों पे निकलना होगा घर के बोसीदा किवाड़ों से चिपक मत जाना … Read more

Jhoothi Bulandiyon Ka Dhua Paar Kar Ke Aa – Rahat Indori | Ghazal And Shayari

  Jhoothi Bulandiyon Ka Dhua Paar Kar Ke Aa झूठी बुलंदियों का धुँआ पार कर के आ क़द नापना है मेरा तो छत से उतर के आ इस पार मुंतज़िर हैं तेरी खुशनसीबियाँ लेकिन ये शर्त है कि नदी पार कर के आ कुछ दूर मैं भी दोशे-हवा पर सफर करूँ कुछ दूर तू भी … Read more

Tere Waade Tere Pyar Ki Mohtaaz Nahin – Rahat Indori | Ghazal And Shayari

Tere Waade Tere Pyar Ki Mohtaaz Nahin तेरे वादे की तेरे प्यार की मोहताज नहीं ये कहानी किसी किरदार की मोहताज नहीं खाली कशकोल पे इतराई हुई फिरती है ये फकीरी किसी दस्तार की मोहताज नहीं लोग होठों पे सजाये हुए फिरते हैं मुझे मेरी शोहरत किसी अखबार की मोहताज नहीं इसे तूफ़ान ही किनारे … Read more

Dhoka Mujhe Diye Pe Hua Aftaab Ka – Rahat Indori | Ghazal And Shayari

Dhoka Mujhe Diye Pe Hua Aftaab Ka धोका मुझे दीये पे हुआ आफ़ताब का ज़िक्रे-शराब में भी है नशा शराब का जी चाहता है बस उसे पढ़ते ही जायें चेहरा है या वर्क है खुदा की किताब का सूरजमुखी के फूल से शायद पता चले मुँह जाने किसने चूम लिया आफ़ताब का मिट्टी तुझे सलाम की … Read more

Gulab, Khwab, Dawa, Zahar, Jaam, Kya Kya Hain – Rahat Indori | Ghazal And Shayari

Gulab, Khwab, Dawa, Zahar, Jaam, Kya Kya Hain गुलाब ख़्वाब दवा ज़हर जाम क्या-क्या है मैं आ गया हूँ बता इन्तज़ाम क्या-क्या है फक़ीर शाख़ कलन्दर इमाम क्या-क्या है तुझे पता नहीं तेरा गुलाम क्या क्या है अमीर-ए-शहर के कुछ कारोबार याद आए मैँ रात सोच रहा था हराम क्या-क्या है         … Read more

Harek Chehare Ko Zakhmon Ka Aaina Na Kaho – Rahat Indori | Ghazal And Shayari

Harek Chehare Ko Zakhmon Ka…  हरेक चहरे को ज़ख़्मों का आइना न कहो ये ज़िंदगी तो है रहमत इसे सज़ा न कहो न जाने कौन सी मजबूरियों का क़ैदी हो वो साथ छोड़ गया है तो बेवफ़ा न कहो तमाम शहर ने नेज़ों पे क्यों उछाला मुझे ये इत्तेफ़ाक़ था तुम इसको हादसा न कहो … Read more

Kaali Raaton Ko Bhi Rangeen Kaha Hai Maine – Rahat Indori | Ghazal And Shayari

  Kaali Raaton Ko Bhi Rangeen…. काली रातों को भी रंगीन कहा है मैंने तेरी हर बात पे आमीन कहा है मैंने तेरी दस्तार पे तन्कीद की हिम्मत तो नहीं अपनी पापोश को कालीन कहा है मैंने मस्लेहत कहिये इसे या के सियासत कहिये चील-कौओं को भी शाहीन कहा है मैंने ज़ायके बारहा आँखों में … Read more