Jo Mansabo Ke Pujari Pahen Ke Aate Hai – Rahat Indori | Ghazal And Shayari

   Mansabo Ke Pujari Pahen Ke Aate Hai जो मंसबो के पुजारी पहन के आते हैं कुलाह तौक से भारी पहन के आते है अमीर शहर तेरे जैसी क़ीमती पोशाक मेरी गली में भिखारी पहन के आते हैं यही अकीक़ थे शाहों के ताज की जीनत जो उँगलियों में मदारी पहन के आते हैं इबादतों … Read more

Dilon Me Aag Labon Par Gulab Rakhte Hai – Rahat Indori | Ghazal And Shayari

Dilon Me Aag Labon Par… दिलों में आग लबों पर गुलाब रखते हैं सब अपने चेहरों पे दोहरी नका़ब रखते हैं हमें चराग समझ कर बुझा न पाओगे हम अपने घर में कई आफ़ताब रखते हैं बहुत से लोग कि जो हर्फ़-आश्ना भी नहीं इसी में खुश हैं कि तेरी किताब रखते हैं ये मैकदा … Read more

Dil Jalaaya To Anzaam Kya Hua Mera – Rahat Indori | Ghazal And Shayari

Dil Jalaaya To Anzaam Kya Hua… दिल जलाया तो अंजाम क्या हुआ मेरा लिखा है तेज हवाओं ने मर्सिया मेरा कहीं शरीफ नमाज़ी कहीं फ़रेबी पीर कबीला मेरा नसब मेरा सिलसिला मेरा किसी ने जहर कहा है किसी ने शहद कहा कोई समझ नहीं पाता है जायका मेरा मैं चाहता था ग़ज़ल आसमान हो जाये … Read more

Mere Kaarobar Me Sabne Badi Imdaad Ki – Rahat Indori | Ghazal And Shayari

Mere Kaarobar Me Sabne Badi… मेरे कारोबार में सबने बड़ी इम्दाद की दाद लोगों की, गला अपना, ग़ज़ल उस्ताद की अपनी साँसें बेचकर मैंने जिसे आबाद की वो गली जन्नत तो अब भी है मगर शद्दाद की उम्र भर चलते रहे आँखों पे पट्टी बाँध कर जिंदगी को ढूंढने में जिंदगी बर्बाद की दास्तानों के … Read more

Sari Basti Kadmon Me Hai, Ye Bhi Ik Fankari Hai – Rahat Indori | Ghazal And Shayari

Sari Basti Kadmon Me Hai, Ye Bhi Ik Fankari Hai सारी बस्ती क़दमों में है, ये भी इक फ़नकारी है वरना बदन को छोड़ के अपना जो कुछ है सरकारी है कालेज के सब लड़के चुप हैं काग़ज़ की इक नाव लिये चारों तरफ़ दरिया की सूरत फैली हुई बेकारी है फूलों की ख़ुश्बू लूटी … Read more

Shaharon-Shaharon Gaanv Ka Aangan Yaad Aaya – Rahat Indori | Ghazal And Shayari

Shaharon-Shaharon Gaanv Ka Aangan Yaad Aaya शहरों-शहरों गाँव का आँगन याद आया झूठे दोस्त और सच्चा दुश्मन याद आया पीली पीली फसलें देख के खेतों में अपने घर का खाली बरतन याद आया गिरजा में इक मोम की मरियम रखी थी माँ की गोद में गुजरा बचपन याद आया देख के रंगमहल की रंगीं दीवारें … Read more

Apne Hone Ka Hum Is Tarah Pata Dete The – Rahat Indori | Ghazal And Shayari

    Apne Hone Ka Hum Is Tarah Pata Dete The अपने होने का हम इस तरह पता देते थे खाक मुट्ठी में उठाते थे, उड़ा देते थे बेसमर जान के हम काट चुके हैं जिनको याद आते हैं के बेचारे हवा देते थे उसकी महफ़िल में वही सच था वो जो कुछ भी कहे हम … Read more

Kisi Aahoo Ke Liye Dur Talak Mat Jaana – Rahat Indori | Ghazal And Shayari

  Kisi Aahoo Ke Liye Dur Talak Mat Jaana किसी आहू, के लिये दूर तलक मत जाना शाहज़ादे कहीं जंगल में भटक मत जाना इम्तहां लेंगे यहाँ सब्र का दुनिया वाले मेरी आँखों कहीं ऐसे में चलक मत जाना जिंदा रहना है तो सड़कों पे निकलना होगा घर के बोसीदा किवाड़ों से चिपक मत जाना … Read more

Jhoothi Bulandiyon Ka Dhua Paar Kar Ke Aa – Rahat Indori | Ghazal And Shayari

  Jhoothi Bulandiyon Ka Dhua Paar Kar Ke Aa झूठी बुलंदियों का धुँआ पार कर के आ क़द नापना है मेरा तो छत से उतर के आ इस पार मुंतज़िर हैं तेरी खुशनसीबियाँ लेकिन ये शर्त है कि नदी पार कर के आ कुछ दूर मैं भी दोशे-हवा पर सफर करूँ कुछ दूर तू भी … Read more

Tere Waade Tere Pyar Ki Mohtaaz Nahin – Rahat Indori | Ghazal And Shayari

Tere Waade Tere Pyar Ki Mohtaaz Nahin तेरे वादे की तेरे प्यार की मोहताज नहीं ये कहानी किसी किरदार की मोहताज नहीं खाली कशकोल पे इतराई हुई फिरती है ये फकीरी किसी दस्तार की मोहताज नहीं लोग होठों पे सजाये हुए फिरते हैं मुझे मेरी शोहरत किसी अखबार की मोहताज नहीं इसे तूफ़ान ही किनारे … Read more