Sula Chuki Thi Ye Duniya Thapak Thapak Ke Mujhe – Rahat Indori | Ghazal And Shayari

Sula Chuki Thi Ye Duniya Thapak Thapak Ke Mujhe सुला चुकी थी ये दुनिया थपक थपक के मुझे जगा दिया तेरी पाज़ेब ने खनक के मुझे कोई बताये के मैं इसका क्या इलाज करूँ परेशां करता है ये दिल धड़क धड़क के मुझे ताल्लुकात में कैसे दरार पड़ती है दिखा दिया किसी कमज़र्फ ने छलक … Read more

Mom Ke Paas Kabhi Aag Ko Laakar Dekhoon – Rahat Indori | Ghazal And Shayari

  Mom Ke Paas Kabhi Aag Ko… मौम के पास कभी आग को लाकर देखूँ सोचता हूँ के तुझे हाथ लगा कर देखूँ कभी चुपके से चला आऊँ तेरी खिलवत में और तुझे तेरी निगाहों से बचा कर देखूँ मैने देखा है ज़माने को शराबें पी कर दम निकल जाये अगर होश में आकर देखूँ … Read more

Hawa khud ab ke hawa ke khilaf hai, Jaani – Rahat Indori | Ghazal And Shayari

शब्दार्थ: ऐतराफ – मानना; इकरार करना; शरायत – शरीर लिहाफ – सर्दियों के दिनों में सोते समय ओढ़ने की रूईदार भारी और मोटी रजाई। इख्तिलाफ – मतभेद मुआफ  – माफ़ असास – नींव शीन-काफ – यह एक उर्दू साहित्यकार थे जिनका पुरा नाम ‘शीन-काफ-निजाम़‘ है। इनका जन्म 26 नवंबर सन् 1947 में जोधपुर (राजस्थान) में हुआ था। … Read more

Ajnabi Khwaahishein Seene Me Daba Bhi Na Sakoon – Rahat Indori | Ghazal And Shayari

  Ajnabi Khwaahishein Seene Me…. अजनबी ख्वाहिशें सीने में दबा भी न सकूँ ऐसे जिद्दी हैं परिंदे के उड़ा भी न सकूँ फूँक डालूँगा किसी रोज ये दिल की दुनिया ये तेरा खत तो नहीं है कि जला भी न सकूँ मेरी गैरत भी कोई शय है कि महफ़िल में मुझे उसने इस तरह बुलाया … Read more

Chhu Gaya Jab Kabhi Khayal Tera – Rahat Indori | Ghazal And Shayari

Chhu Gaya Jab Kabhi Khayal Tera.. छू गया जब कभी ख्याल तेरा दिल मेरा देर तक धड़कता रहा कल तेरा ज़िक्र छिड़ गया घर में और घर देर तक महकता रहा रात हम मैक़दे में जा निकले घर का घर शहर मैं भटकता रहा उसके दिल में तो कोई मैल न था मैं खुद जाने … Read more

Sar Par Bojh Andhiyaaron Ka Hai Maula Khair – Rahat Indori | Ghazal And Shayari

Sar Par Bojh Andhiyaaron Ka…. सर पर बोझ अँधियारों का है मौला खैर और सफ़र कोहसारों का है मौला खैर दुश्मन से तो टक्कर ली है सौ-सौ बार सामना अबके यारों का है मौला खैर इस दुनिया में तेरे बाद मेरे सर पर साया रिश्तेदारों का है मौला खैर दुनिया से बाहर भी निकलकर देख … Read more

Ab Na Main Wo Hoon, Naa Baaki Hai Zamaane Mere – Rahat Indori | Ghazal And Shayari

Ab Na Main Wo Hoon…. अब ना मैं वो हूँ, ना बाकी हैं ज़माने मेरे फिर भी मशहूर हैं, शहरों में फ़साने मेरे जिंदगी हैं तो नए जख्म भी लग जायेंगे अब भी बाकी हैं कई दोस्त पुराने मेरे आप से रोज़ मुलाक़ात की उम्मीद नहीं अब कहा शहर में रहते हैं ठिकाने मेरे उमरा … Read more

Jo De Rahe Hain Phal Tumhe Pake Pakaaye Hue – Rahat Indori | Ghazal And Shayari

Jo De Rahe Hain Phal Tumhe… जो दे रहे हैं फल तुम्हे पके पकाए हुए वोह पेड़ मिले हैं तुम्हे लगे लगाये हुए ज़मीर इनके बड़े दागदार है ये फिर रहे है जो चेहरे धुले धुलाए हुए जमीन ओढ़ के सोये हैं दुनिया में न जाने कितने सिकंदर थके थकाए हुए यह क्या जरूरी है … Read more

Kaam Sab Gair Zaroori Hain Jo Sab Karte Hain – Rahat Indori | Ghazal And Shayari

शब्दार्थ: कलंदर – मुसलमान साधुओं का समुदाय। लक़ब – उपाधि, पदवी। अज़मत – बड़ाई, गौरव। अदब – सम्मान। मतब – वह स्थान जहाँ चिकित्सक रोगियों के रोग का निदान करता है। Kaam Sab Gair Zaroori Hain…. काम सब गैर-ज़रूरी हैं जो सब करते हैं और हम कुछ नहीं करते हैं, ग़ज़ब करते हैं हम पे … Read more

Jaa Ke Ye Kah De Koi Sholon Se Chingari Se – Rahat Indori | Ghazal And Shayari

Jaa Ke Ye Kah De Koi…. जा के ये कह दे कोई शोलों से चिंगारी से फूल इस बार खिले हैं बड़ी तैयारी से अपनी हर साँस को नीलाम किया है मैं ने लोग आसान हुए हैं बड़ी दुश्वारी से जेहन में जब भी तेरे ख़त की इबारत चमकी एक खुश्बू सी निकलने लगी अलमारी … Read more