Masjidon Ke Sahan Tak Jana Bahut Dushwar Tha – Rahat Indori | Ghazal Poetry

Difficult Words: दार = फांसी घर। दरख़्त = पेड़, वृक्ष। Masjidon Ke Sahan Tak Jana Bahut Dushwar Tha  मस्जिदों के सहन तक जाना बहुत दुश्वार थादेर से निकला तो मेरे रास्ते में दार था अपने ही फैलाओ के नशे में खोया था दरख़्तऔर हर मासूम टहनी पर फलों का भार था देखते ही देखते शहरों की रौनक़ … Read more

Yeh Haadsa To Kisi Din Guzarne Wala Tha – Rahat Indori | Ghazal Poetry

  Yeh Haadsa To Kisi Din Guzarne Wala Tha   ये हादसा तो किसी दिन गुज़रने वाला थामैं बच भी जाता तो इक रोज़ मरने वाला था तेरे सलूक तेरी आगही की उम्र दराज़मेरे अज़ीज़ मेरा ज़ख़्म भरने वाला था बुलंदियों का नशा टूट कर बिखरने लगामेरा जहाज़ ज़मीन पर उतरने वाला था मेरा नसीब मेरे हाथ … Read more

Puraane Sheharon Ke Manzar Mikalne Lagte Hai – Rahat Indori | Ghazal Poetry

Difficult Words: सदफ़ = वह सीपी जिसमें से मोतिया निकलती है   Puraane Sheharon Ke Manzar Mikalne Lagte Hai   पुराने शहरों के मंज़र निकलने लगते हैंज़मीं जहाँ भी खुले घर निकलने लगते हैं मैं खोलता हूँ सदफ़ मोतियों के चक्कर मेंमगर यहाँ भी समन्दर निकलने लगते हैं हसीन लगते हैं जाड़ों में सुबह के मंज़रसितारे धूप … Read more

Andhere Chaaro Taraf Saayan-Saayan Karne Lage – Rahat Indori | Ghazal Poetry

Difficult Words: इलतिजाएँ = प्रार्थना, निवेदन। मजलिस = बैठने की जगह, सभा। Andhere Chaaro Taraf Saayan-Saayan Karne Lage अँधेरे चारों तरफ़ सायं-सायं करने लगेचिराग़ हाथ उठाकर दुआएँ करने लगे तरक़्क़ी कर गए बीमारियों के सौदागरये सब मरीज़ हैं जो अब दवाएँ करने लगे लहूलोहान पड़ा था ज़मीं पे इक सूरजपरिन्दे अपने परों से हवाएँ करने लगे ज़मीं … Read more

Teri Har Baat Mohabbat Me Gawara Karke – Rahat Indori | Ghazal Poetry

Difficult Words: ख़सारा = हानि, क्षति, नुक्सान। मुन्तज़िर = इंतज़ार करने वाला। Teri Har Baat Mohabbat Me Gawara Karke तेरी हर बात मोहब्बत में गवारा करकेदिल के बाज़ार में बैठे हैँ ख़सारा करके एक चिन्गारी नज़र आई थी बस्ती में उसेवो अलग हट गया आँधी को इशारा करके मुन्तज़िर हूँ कि सितारों की ज़रा आँख लगेचाँद … Read more

Mujhe Hosh Nahin – Rahat Indori | Ghazal Poetry

  Kitni Pi Kaise Kati Raat Mujhe Hosh Nahin  कितनी पी कैसे कटी रात मुझे होश नहीं हैरात के साथ गयी बात मुझे होश नहीं मुझ को ये भी नहीं मालूम की जाना है कहाँथाम ले कोई मेरा हाथ मुझे होश नहीं आंसूओं और शराबों में गुज़र है अब तोमैं ने कब देखी थी बरसात … Read more

Dhoop Bahut Hai Mausam Jal-Thal Bhejo Na – Rahat Indori | Ghazal Poetry

Difficult Words: मौलसिरी = एक प्रकार का बड़ा सदा बहार पेड़ जिसकी लकड़ी अन्दर से लाल और चिकनी होती है संदल = सन्देश   Dhoop Bahut Hai Mausam Jal-Thal Bhejo Na  धूप बहुत है मौसम जल-थल भेजो नाबाबा मेरे नाम का बादल भेजो ना मौलसिरी की शाख़ों पर भी दिये जलेंशाख़ों का केसरया आँचल भेजो … Read more

Peshaaniyon pe likhe muqaddar nahi mile – Rahat Indori | Ghazal Poetry

Difficult Words: पेशानियों = माथा। दस्तार = पगड़ी। रब्त = लगाव। मग़्रिब = सूर्यास्त का समय।   Peshaaniyon Pe Likhe Muqaddar Nahi Mile   पेशानियों पे लिखे मुक़द्दर नहीं मिलेदस्तार कहाँ मिलेंगे जहाँ सर नहीं मिले आवारगी को डूबते सूरज से रब्त हैमग़्रिब के बाद हम भी तो घर पर नहीं मिले कल आईनों का जश्न हुआ था तमाम रातअन्धे … Read more

Ungliyan Yun Na Sab Par Uthaya Karo – Rahat Indori | Ghazal Poetry

Difficult Words: ज़र्फ़ = क्षमता   Ungliyan yun na sab par uthaya karo    उँगलियाँ यूँ न सब पर उठाया करोखर्च करने से पहले कमाया करो ज़िन्दगी क्या है खुद ही समझ जाओगेबारिशों में पतंगें उड़ाया करो दोस्तों से मुलाक़ात के नाम परनीम की पत्तियों को चबाया करो शाम के बाद जब तुम सहर देख … Read more

Teergi chand ke jeene se sahar tak pahunchi – Rahat Indori | Ghazal Poetry

Difficult Words: तीरगी = अंधेरा। सहर = प्रातःकाल, सवेरा। जज़्ब = कब्ज़ा करना। Teergi chand ke jeene se sahar tak pahunchi – Poetry तीरगी चांद के ज़ीने से सहर तक पहुँचीज़ुल्फ़ कन्धे से जो सरकी तो कमर तक पहुँची मैंने पूछा था कि ये हाथ में पत्थर क्यों हैबात जब आगे बढी़ तो मेरे सर तक … Read more