Dr. Rahat Indori – Raste Mein Fir Wahi Pairon Ka Chakkar Aa Gaya | Ghazal
Raste Mein Fir Wahi… रास्ते में फिर वही पैरों का चक्कर आ गया जनवरी गुज़रा नहीं था और दिसंबर आ गया ये शरारत है, सियासत है, के है साज़िश कोई शाख़ पर फल आयें इससे पहले पत्थर आ गया मैने कुछ पानी बचा रखा था अपनी आँख में एक समंदर अपने सूखे होंठ लेकर आ … Read more