Chhu Gaya Jab Kabhi Khayal Tera – Rahat Indori | Ghazal And Shayari

Chhu Gaya Jab Kabhi Khayal Tera.. छू गया जब कभी ख्याल तेरा दिल मेरा देर तक धड़कता रहा कल तेरा ज़िक्र छिड़ गया घर में और घर देर तक महकता रहा रात हम मैक़दे में जा निकले घर का घर शहर मैं भटकता रहा उसके दिल में तो कोई मैल न था मैं खुद जाने … Read more

Sar Par Bojh Andhiyaaron Ka Hai Maula Khair – Rahat Indori | Ghazal And Shayari

Sar Par Bojh Andhiyaaron Ka…. सर पर बोझ अँधियारों का है मौला खैर और सफ़र कोहसारों का है मौला खैर दुश्मन से तो टक्कर ली है सौ-सौ बार सामना अबके यारों का है मौला खैर इस दुनिया में तेरे बाद मेरे सर पर साया रिश्तेदारों का है मौला खैर दुनिया से बाहर भी निकलकर देख … Read more

Ab Na Main Wo Hoon, Naa Baaki Hai Zamaane Mere – Rahat Indori | Ghazal And Shayari

Ab Na Main Wo Hoon…. अब ना मैं वो हूँ, ना बाकी हैं ज़माने मेरे फिर भी मशहूर हैं, शहरों में फ़साने मेरे जिंदगी हैं तो नए जख्म भी लग जायेंगे अब भी बाकी हैं कई दोस्त पुराने मेरे आप से रोज़ मुलाक़ात की उम्मीद नहीं अब कहा शहर में रहते हैं ठिकाने मेरे उमरा … Read more

Jo De Rahe Hain Phal Tumhe Pake Pakaaye Hue – Rahat Indori | Ghazal And Shayari

Jo De Rahe Hain Phal Tumhe… जो दे रहे हैं फल तुम्हे पके पकाए हुए वोह पेड़ मिले हैं तुम्हे लगे लगाये हुए ज़मीर इनके बड़े दागदार है ये फिर रहे है जो चेहरे धुले धुलाए हुए जमीन ओढ़ के सोये हैं दुनिया में न जाने कितने सिकंदर थके थकाए हुए यह क्या जरूरी है … Read more

Kaam Sab Gair Zaroori Hain Jo Sab Karte Hain – Rahat Indori | Ghazal And Shayari

शब्दार्थ: कलंदर – मुसलमान साधुओं का समुदाय। लक़ब – उपाधि, पदवी। अज़मत – बड़ाई, गौरव। अदब – सम्मान। मतब – वह स्थान जहाँ चिकित्सक रोगियों के रोग का निदान करता है। Kaam Sab Gair Zaroori Hain…. काम सब गैर-ज़रूरी हैं जो सब करते हैं और हम कुछ नहीं करते हैं, ग़ज़ब करते हैं हम पे … Read more

Jaa Ke Ye Kah De Koi Sholon Se Chingari Se – Rahat Indori | Ghazal And Shayari

Jaa Ke Ye Kah De Koi…. जा के ये कह दे कोई शोलों से चिंगारी से फूल इस बार खिले हैं बड़ी तैयारी से अपनी हर साँस को नीलाम किया है मैं ने लोग आसान हुए हैं बड़ी दुश्वारी से जेहन में जब भी तेरे ख़त की इबारत चमकी एक खुश्बू सी निकलने लगी अलमारी … Read more

Use Ab Ke Wafaon Se Guzar Jaane Ki Jaldi Thi – Rahat Indori | Ghazal And Shayari

Use Ab Ke Wafaon Se… उसे अब के वफाओं से गुजर जाने की जल्दी थी मगर इस बार मुझ को अपने घर जाने की जल्दी थी इरादा था कि मैं कुछ देर तूफाँ का मज़ा लेता मगर बेचारे दरिया को उतर जाने की जल्दी थी मैं अपनी मुट्ठियों मैं क़ैद कर लेता ज़मीनों को मगर … Read more

Ise Saman-e-safar Jaan Ye Jugnu Rakh Le – Rahat Indori | Ghazal And Shayari

Ise Saman-e-safar Jaan Ye… इसे सामान-ए-सफर जान ये जुगनू रख ले राह में तीरगी होगी मेरे आँसू रख ले तु जो चाहे तो तेरा झूट भी बिक सकता है शर्त इतनी है कि सोने की तराजू रख ले वो कोई जिस्म नहीं है की उसे छू भी सकें हाँ अगर नाम ही रखना है तो … Read more

Zindagi Ko Zakham Ki Lazzat Se Mat Mehroom Kar – Rahat Indori | Ghazal and Shayari

शब्दार्थ: लज़्ज़त – ज़ायका, स्वाद। मंजूम – छंदोबद्ध, नज्म की सूरत में लाया हुआ, छंद के रूप में परिवर्तित किया हुआ। बर्छियों – एक प्रकार का नुकीला अस्त्र, भाला। Zindagi Ko Zakham Ki Lazzat… ज़िंदगी को जख्म की लज़्ज़त से मत महरूम कर रास्ते के पत्थरों से खैरियत मालूम कर टूट कर बिखरी हुई तलवार के टुकड़े समेट … Read more

Aankh Mein Paani Rakho Hoton Pe Chingaari Rakho – Rahat Indori | Ghazal and Shayari

  Aankh mein paani rakho… आँख में पानी रखो होंटों पे चिंगारी रखो ज़िंदा रहना है तो तरकीबें बहुत सारी रखो राह के पत्थर से बढ़ कर कुछ नहीं हैं मंज़िलें रास्ते आवाज़ देते हैं सफ़र जारी रखो एक ही नदी के हैं ये दो किनारे दोस्तो दोस्ताना ज़िंदगी से मौत से यारी रखो आते … Read more