Na Hone Ki Gandh – Kedarnath Singh | Hindi Kavita

न होने की गंध | केदारनाथ सिंह  ‘न होने की गंध’ कविता केदारनाथ सिंह जी द्वारा रचित एक हिन्दी कविता  है जो ‘अकाल में सारस‘ नामक कविता-संग्रह में संकलित हैं। न होने की गंध अब कुछ नहीं था सिर्फ हम लौट रहे थे इतने सारे लोग सिर झुकाए हुए चुपचाप लौट रहे थे उसे नदी को … Read more

Angutha Ka Nishan – Kedarnath Singh | Hindi Kavita

अँगूठे का निशान | केदारनाथ सिंह  ‘अकाल में सारस‘ नामक कविता-संग्रह में यह कविता ‘अंगूठे का निशान‘ भी संकलित हैं। अँगूठे का निशान  किसने बनाए वर्णमाला के अक्षर ये काले-काले अक्षर भूरे-भूरे अक्षर किसने बनाए खड़िया ने चिड़िया के पंख ने दीमकों ने ब्लैकबोर्ड ने किसने आखिर किसने बनाए वर्णमाला के अक्षर ‘मैंने… मैंने’ सारे हस्ताक्षरों … Read more

Aankuspur – Kedarnath Singh | Hindi Kavita

आँकुसपुर | केदारनाथ सिंह  ‘आँकुसपुर‘ कविता ‘अकाल में सारस‘ नामक कविता-संग्रह में संकलित एक हिन्दी कविता है। आँकुसपुर आँकुसपुर रुकी नहीं ट्रेन हमेशा की तरह धड़धड़ाती हुई आई और चली गई छोड़कर आँकुसपुर सिर्फ दसबजिया यहाँ रुकती है कहा एक यात्री ने दूसरे यात्री से। क्यों ? आखिर क्यों ? फिर पृथ्वी पर क्यों है आँकुसपुर – … Read more

Kuch Aur Tukde – Kedarnath Singh | Hindi Kavita

कुछ और टुकड़े | केदारनाथ सिंह  ‘कुछ और टुकड़े’‌  कविता केदार जी की कविता-संग्रह  ‘उत्तर कबीर और अन्य कविताएँ’ में संकलित एक हिन्दी कविता है। कुछ और टुकड़े 1) अकेली चुप्पी भयानक चीज है जैसे हवा में गैंडे का अकेला सींग पर यदि दो लोग चुप हों पास-पास बैठे हुए तो उतनी देर भाषा के गर्भ में चुपचाप … Read more

Janhit Ka Kaam – Kedarnath Singh | Hindi Kavita

जनहित का काम | केदारनाथ सिंह केदारनाथ सिंह जी की ‘यहां से देखो‘ कविता संग्रह में रचित यह कविता ‘जनहित का काम‘ भी संकलित हैं। जनहित का काम  वह एक अद्भुत दृश्य था मेह बरसकर खुल चुका था खेत जुतने को तैयार थे एक टूटा हुआ हल मेड़ पर पड़ा था और एक चिड़िया बार-बार बार-बार उसे … Read more

Ghulte Hue Galte Hue – Kedarnath Singh | Hindi Kavita

घुलते हुए गलते हुए | केदारनाथ सिंह  ‘अकाल में सारस’ ऐसी ही कविताओं का कविता-संग्रह है, जिसमे सन् 1983-87 के मध्य रची गयी कवितायेँ संकलित हैं। जिसमें कविता ‘घुलते हुए गलते हुए‘ भी सम्मिलित हैं। घुलते हुए गलते हुए  देखता हूँ बूँदें टप‍-टप गिरती हुई भैंस की पीठ पर भैंस मगर पानी में खड़ी संतुष्ट। उसके … Read more

Kuch Tukde – Kedarnath Singh | Hindi Kavita

कुछ टुकड़े | केदारनाथ सिंह   ‘उत्तर कबीर और अन्य कविताएँ‘ नामक कविता-संग्रह जिनमें सम्मिलित कविता ‘कुछ टुकड़े‘ केदारनाथ सिंह द्वारा लिखित है। कुछ टुकड़े 1) जिससे मिलने गया था उससे मिलकर जब बाहर आया सोचा, ये जो विराट इमारत है ब्रह्मांड की क्यों न हिला दूँ इसकी कोई ईंट इस अद्भुत विचार से रोमांचित अभी मैं … Read more

Manch Aur Machan – Kedarnath Singh | Hindi Kavita

मंच और मचान | केदारनाथ सिंह  ‘सृष्टि पर पहरा‘ केदारनाथ सिंह जी द्वारा लिखी गई एक कविता-संग्रह है जिसमें ‘मंच और मचान‘ नामक कविता सम्मिलित हैं जो कुशीनगर के स्तूप पर रहने वाले चीना बाबा पर एक लम्बी कविता है। यह कविता इस सोच पर उल्लेखनीय है कि यहाँ कटते हुए वृक्ष (बरगद) के विरुद्ध एक … Read more

Kharrate – Kedarnath Singh | Hindi Kavita

खर्राटे | केदारनाथ सिंह  ‘खर्राटे‘ केदारनाथ सिंह जी द्वारा लिखी गई  एक हिन्दी कविता है जो ‘उत्तर कबीर और अन्य कविताएँ‘ नामक काव्य संग्रह में सम्मिलित है। इस कविता में केदार जी ने अपने खर्राटे लेने का जिक्र किया है। खर्राटे मेरी आत्मा एक घर है जहाँ अपने लंबे उदास खर्राटों के साथ यह दुनिया सोती … Read more

Ek Chhota Sa Anurodh – Kedarnath Singh | Hindi Kavita

एक छोटा सा अनुरोध | केदारनाथ सिंह ‘अकाल में सारस‘ काव्य-संग्रह में सम्मिलित कविता ‘एक छोटा-सा अनुरोध’ केदारनाथ सिंह जी द्वारा लिखी गई हैं। इस कविता में अनाज से दाना बनने के पीछे जो श्रम, योगदान ,सौन्दर्य होता है केदार जी उसे उजागर करना चाहते हैं। एक छोटा सा अनुरोध आज की शाम जो बाजार जा … Read more