Jo Mera Dost Bhi Hai, Mera Hamnawa Bhi Hai By Rahat Indori | Ghazal

Difficult Words: बेनियाज़ – जिसे किसी से कुछ लेने की इच्छा नहीं होती, निःस्पृह । Jo Mera Dost Bhi Hai, Mera Hamnawa Bhi Hai जो मेरा दोस्त भी है, मेरा हमनवा भी है वो शख्स, सिर्फ भला ही नहीं, बुरा भी है मैं पूजता हूँ जिसे, उससे बेनियाज़ भी हूँ मेरी नज़र में वो पत्थर भी … Read more

Beemar Ko Marz Ki Dawa Deni Chahiye – Rahat Indori | Ghazal Poetry

Credit: Poetry Title – Beemar Ko Marz Ki Dawa Deni Chahiye Written By – Rahat Indori Difficult Words: 1) जब्र = मजबूरी 2) ताईद = समर्थन, तरफदारी    Beemar Ko Marz Ki Dawa Deni Chahiye   बीमार को मर्ज़ की दवा देनी चाहिएवो पीना चाहता है पिला देनी चाहिए अल्लाह बरकतों से नवाज़ेगा इश्क़ मेंहै जितनी पूँजी पास लगा देनी … Read more

Samandaron Me Muaafik Hawa Chalaata Hain – Rahat Indori | Ghazal Poetry

  Difficult Words: मुआफिक = इच्छानुसार Samandaron Me Muaafik Hawa Chalaata Hain समन्दरों में मुआफिक हवा चलाता हैजहाज़ खुद नहीं चलते खुदा चलाता है ये जा के मील के पत्थर पे कोई लिख आयेवो हम नहीं हैं, जिन्हें रास्ता चलाता है वो पाँच वक़्त नज़र आता है नमाजों मेंमगर सुना है कि शब को जुआ चलाता … Read more

Aankh Pyaasi Hai Koi Manzar De – Rahat Indori | Ghazal & Poetry

Difficult Words: जज़ीरे – द्वीप हयात – ज़िंदगी, जीवन।   Aankh Pyaasi Hai Koi Manzar De   आँख प्यासी है कोई मन्ज़र देइस जज़ीरे को भी समन्दर दे अपना चेहरा तलाश करना हैगर नहीं आइना तो पत्थर दे बन्द कलियों को चाहिये शबनमइन चिराग़ों में रोशनी भर दे पत्थरों के सरों से कर्ज़ उतारइस सदी को कोई … Read more

Masjidon Ke Sahan Tak Jana Bahut Dushwar Tha – Rahat Indori | Ghazal Poetry

Difficult Words: दार = फांसी घर। दरख़्त = पेड़, वृक्ष। Masjidon Ke Sahan Tak Jana Bahut Dushwar Tha  मस्जिदों के सहन तक जाना बहुत दुश्वार थादेर से निकला तो मेरे रास्ते में दार था अपने ही फैलाओ के नशे में खोया था दरख़्तऔर हर मासूम टहनी पर फलों का भार था देखते ही देखते शहरों की रौनक़ … Read more

Yeh Haadsa To Kisi Din Guzarne Wala Tha – Rahat Indori | Ghazal Poetry

  Yeh Haadsa To Kisi Din Guzarne Wala Tha   ये हादसा तो किसी दिन गुज़रने वाला थामैं बच भी जाता तो इक रोज़ मरने वाला था तेरे सलूक तेरी आगही की उम्र दराज़मेरे अज़ीज़ मेरा ज़ख़्म भरने वाला था बुलंदियों का नशा टूट कर बिखरने लगामेरा जहाज़ ज़मीन पर उतरने वाला था मेरा नसीब मेरे हाथ … Read more

Puraane Sheharon Ke Manzar Mikalne Lagte Hai – Rahat Indori | Ghazal Poetry

Difficult Words: सदफ़ = वह सीपी जिसमें से मोतिया निकलती है   Puraane Sheharon Ke Manzar Mikalne Lagte Hai   पुराने शहरों के मंज़र निकलने लगते हैंज़मीं जहाँ भी खुले घर निकलने लगते हैं मैं खोलता हूँ सदफ़ मोतियों के चक्कर मेंमगर यहाँ भी समन्दर निकलने लगते हैं हसीन लगते हैं जाड़ों में सुबह के मंज़रसितारे धूप … Read more

Andhere Chaaro Taraf Saayan-Saayan Karne Lage – Rahat Indori | Ghazal Poetry

Difficult Words: इलतिजाएँ = प्रार्थना, निवेदन। मजलिस = बैठने की जगह, सभा। Andhere Chaaro Taraf Saayan-Saayan Karne Lage अँधेरे चारों तरफ़ सायं-सायं करने लगेचिराग़ हाथ उठाकर दुआएँ करने लगे तरक़्क़ी कर गए बीमारियों के सौदागरये सब मरीज़ हैं जो अब दवाएँ करने लगे लहूलोहान पड़ा था ज़मीं पे इक सूरजपरिन्दे अपने परों से हवाएँ करने लगे ज़मीं … Read more

Teri Har Baat Mohabbat Me Gawara Karke – Rahat Indori | Ghazal Poetry

Difficult Words: ख़सारा = हानि, क्षति, नुक्सान। मुन्तज़िर = इंतज़ार करने वाला। Teri Har Baat Mohabbat Me Gawara Karke तेरी हर बात मोहब्बत में गवारा करकेदिल के बाज़ार में बैठे हैँ ख़सारा करके एक चिन्गारी नज़र आई थी बस्ती में उसेवो अलग हट गया आँधी को इशारा करके मुन्तज़िर हूँ कि सितारों की ज़रा आँख लगेचाँद … Read more

Mujhe Hosh Nahin – Rahat Indori | Ghazal Poetry

  Kitni Pi Kaise Kati Raat Mujhe Hosh Nahin  कितनी पी कैसे कटी रात मुझे होश नहीं हैरात के साथ गयी बात मुझे होश नहीं मुझ को ये भी नहीं मालूम की जाना है कहाँथाम ले कोई मेरा हाथ मुझे होश नहीं आंसूओं और शराबों में गुज़र है अब तोमैं ने कब देखी थी बरसात … Read more