Har Ek Kapde Ka Tukda Maa Ka Aanchal Ho Nahin Sakta By Kumar Vishwas | Sahitya Tak

हर एक कपड़े का टुकड़ा माँ का आंचल हो नहीं सकता (In Hindi) हर एक कपड़े का टुकड़ा माँ का आंचल हो नहीं सकता  जिसे दुनिया को पाना है वो पागल हो नहीं सकता  जफ़ाओं की कहानी जब तलक उसमें न शामिल हो  वफ़ाओं का कोई किस्सा मुकम्मल हो नहीं सकता किसी के दिल की … Read more

INTEZAAR POETRY – JAI OJHA | A few couplets (Ashaar)

‘Intezaar‘ a beautiful poetry performed and written by Jai Ojha. Intezaar Poetry Jai Ojha In Hindi चलो अच्छा है इस इंतज़ार में ये जिन्दगी तो गुज़र जाएगी कविताये जब तुमको छू कर लौट आएगी कविताये जब तुमको छू कर लौट आएगी हां तब, तब किसी रोज़ सूकुन से मौत आएगी हां तब, तब किसी रोज़ … Read more

“Ek Jhalak Dekh Ke….” Poetry By Shakeel Azmi | Fuhaarein Saawan Ki (2016)

“Ek Jhalak Dekh Ke….” By Shakeel Azmi मर के मिट्टी में मिलूंगा खाद हो जाऊंगा मैं  फिर खिलूंगा शाख पर आबाद हो जाऊंगा मैं बार-बार आऊंगा मैं तेरी नजर के सामने  और फिर एक रोज तेरी याद हो जाऊंगा मैं तेरे सीने में उतर आऊंगा चुपके से कभी  फिर जुदा होकर तेरी फरियाद हो जाऊंगा … Read more

Tere Bagair Hi Ache The – Mahshar Afridi | Andaaz-E-Bayan Aur

       Difficult Words   फाख्ता = कबूतर की तरह का एक पक्षी जो भूरापन लिए लाल रंग का होता है। जेहनी = मानसिक। बशर =  व्यक्ति। वज़ादार = सुंदर बनावटवाला, सजधज से युक्त। जवाल = आफत; समस्या। मयार = दयालु। नजूमी = ज्योतिषी। कांसा = कटोरा। मयकशी = शराब पीना। अफलातून = वह जो अपने को … Read more

Main Aisi Nahi Thi Poetry By Nidhi Narwal

Main Aisi Nahi Thi जिस रास्ते पर मैं चल रही हूं  मुझे मालूम तक नहीं कि आगे जाना कहां है  फिर भी चल रही हूं  और जिस रास्ते से होकर मैंने यहां तक का सफर तय किया है  उस रास्ते पर यूं ही यूं मेरे कदमों के निशान मुझे दिखाई देते है  मगर फिर भी … Read more

Dard Seene Mein Chhupaye Rakha Poetry – Madan Mohan Danish | 5th Jashn-e-Rekhta

Dard Seene Mein Chhupaye Rakha उधर है शाम जमीं आसमां मिलाए हुए  इधर मैं याद को तेरी गले लगाए हुए हुई जो रात तो कपड़े बदल के आ बैठे  तमाम दिन के उजाले थके थकाए हुए  इल्म जब होगा किधर जाना है  हाय तब तक तो गुजर जाना है इश्क़ कहता है भटकते रहिए  और … Read more

Hawa Mubarak Poetry – Ramneek Singh | UnErase Poetry

Hawa Mubarak! तरक्की कर रहे देशों में रोज चलती है कुल्हाड़ियां कटते पेड़ की छाती से निकलता अगर खून तो  उनके कटने पर दुःख करना आसान होता  पर खून के अलावा कहां है हमारे पास मापदंड?  चोट का अंदाजा लगाने के लिए। हमने पहन लिए हैं बिना नंबर वाले गोल चश्में जिनकी गोलाई जितना हमारी … Read more