Paani Me Ghire Hue Log – Kedarnath Singh | Hindi Kavita

पानी में घिरे हुए लोग | केदारनाथ सिंह  ‘पानी में घिरे हुए लोग‘ कविता केदारनाथ जी द्वारा रचित कविता-संग्रह ‘यहाँ से देखो‘ से ली गई है। जब कभी बाढ़ या आपदा आती है तो कई गांव ऐसे होते जो उनकी चपेट में आ जाते हैं और पुरा का पुरा गांव जलमग्न हो जाता है, वहां के … Read more

Poonji – Kedarnath Singh | Hindi Kavita

पूँजी | केदारनाथ सिंह ‘अकाल में सारस‘ नामक कविता-संग्रह में कविता ‘पुँजी ‘भी सम्मिलित हैं। पूँजी सारा शहर छान डालने के बाद मैं इस नतीजे पर पहुँचा कि इस इतने बड़े शहर में मेरी सबसे बड़ी पूँजी है मेरी चलती हुई साँस मेरी छाती में बंद मेरी छोटी-सी पूँजी जिसे रोज मैं थोड़ा-थोड़ा खर्च कर देता … Read more

Nadi – Kedarnath Singh | Hindi Kavita

नदी | केदारनाथ सिंह केदारनाथ सिंह की कविता ‘नदी‘ इनके प्रसिद्ध कविता-संग्रह ‘अकाल में सारस’ से ली गई है। ‘नदी‘ वास्तव में केवल बहते हुए जल की धारा  मात्र नही, वह हमारी जीवन और प्राण रक्षक भी है, संस्कृत का जीवंत रूप है, नदी‌ हमारी सभ्यता की जननी है।  यदि हम अपनी संस्कृति और सभ्यता से … Read more

Naye Shahar Me Bargad – Kedarnath Singh | Hindi Kavita

नए शहर में बरगद | केदारनाथ सिंह  ‘अकाल में सारस‘ कविता-संग्रह में‌‌ यह कविता ‘नए शहर में बरगद’ भी सम्मिलित हैं। नए शहर में बरगद जैसे मुझे जानता हो बरसों से देखो, उस दढ़ियल बरगद को देखो मुझे देखा तो कैसे लपका चला आ रहा है मेरी तरफ पर अफसोस कि चाय के लिए मैं उसे … Read more

Dusre Shahar Me – Kedarnath Singh | Hindi Kavita

दूसरे शहर में | केदारनाथ सिंह  ‘अकाल में सारस’ नामक कविता-संग्रह में‌‌ संकलित यह हिन्दी कविता ‘दूसरे शहर में‘ संकलित हैं। दूसरे शहर में यही हुआ था पिछ्ली बार यही होगा अगली बार भी हम फिर मिलेंगे किसी दूसरे शहर में और ताकते रह जाएँगे एक-दूसरे का मुँह                 … Read more

Jab Varsha Shuru Hoti Hain – Kedarnath Singh | Hindi Kavita

जब वर्षा शुरू होती है | केदारनाथ सिंह ‘जब वर्षा शुरू होती है‘ कविता केदारनाथ सिंह जी द्वारा लिखी गई एक हिन्दी कविता है जिसमें जन जीवन प्रभावित होने का वर्णन किया गया है और मकानों और मिट्टी से जो धीमी गंध आती है वर्षा के दौरान इसका भी जिक्र है। केदार जी की कविताएं … Read more

Joote – Kedarnath Singh | Hindi Kavita

जूते | केदारनाथ सिंह  ‘उत्तर कबीर और अन्य कविताएँ‘ नामक कविता-संग्रह में‌‌ संकलित यह हिन्दी कविता ‘जूते‘ केदारनाथ सिंह जी द्वारा लिखी गई है। इस कविता में एक ऐसे जूते‌ की चर्चा है जिसमें धूल लगी हुई है और साथ ही आगे से फटे हुए हैं वह वक्ता बेहद निर्धन होगा जो सभा में आया हुआ … Read more

Jadein – Kedarnath Singh | Hindi Kavita

जड़ें | केदारनाथ सिंह ‘उत्तर कबीर और अन्य कविताएँ’ नामक कविता-संग्रह में‌‌ संकलित यह हिन्दी कविता ‘जड़े‌’ भी है। जड़ें जड़ें चमक रही हैं ढेले खुश घास को पता है चींटियों के प्रजनन का समय करीब आ रहा है दिन भर की तपिश के बाद ताजा पिसा हुआ गरम-गरम आटा एक बूढ़े आदमी के कंधे पर … Read more

Aana – Kedarnath Singh | Hindi Kavita

आना | केदारनाथ सिंह  ‘आना‘ कविता ‘अकाल में सारस’ नामक कविता-संग्रह में‌‌ संकलित हैं। आना आना जब समय मिले जब समय न मिले तब भी आना आना जैसे हाथों में आता है जाँगर जैसे धमनियों में आता है रक्त जैसे चूल्हों में धीरे-धीरे आती है आँच आना आना जैसे बारिश के बाद बबूल में आ जाते … Read more

Kali Miitti – Kedarnath Singh | Hindi Kavita

काली मिट्टी | केदारनाथ सिंह  गांव के लोग मिट्टी के घरो में और मिट्टी का उपयोग ज्यादातर ग्रामीण क्षेत्रों में होता है और केदार जी जिस मिट्टी का जिक्र इस कविता में कर रहे वो मिट्टी काले रंग की है जिसके कारण वहां सब काला दिखाई देता है चाहे वो भ्रष्टाचार या काला धन सब काले … Read more